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Showing posts from March 18, 2018

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ललित कला विभाग का "देवानंद"- सोनी सिंह

ललित कला विभाग का " देवानंद " देवानंद मेरे लोकप्रिय नायक रहे हैं। इतने प्रिय की उनका बड़ा सा पोस्टर मैंने दीवार पर चिपका रखा था , मगर ललित कला विभाग का " देवानंद " रंग , रूप , गुण किसी मामले में सदाबहार देवजी के सामने नहीँ टिकता था। फिर उसका नाम " देवानंद " कब और क्यों पड़ा बता नहीँ सकती। हमारा उससे पहला परिचय इसी नाम के साथ हुआ।   बात उन दिनों की है , जब बनारस में काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग में प्रवेश लिया था और कक्षाएं शुरू ही हुईं थीं। वरिष्ठों द्वारा परिचय लेने - देने का सिलसिला जोरशोर से चल रहा था। विभाग से सटकर ही भारत माता मंदिर है और दोनों इमारतों को मिलाकर बड़ा सा कैंपस बना हुआ है , जहां बैठकर हम पेड़ की पेंसिल ड्राइंग या लैंड स्केप बनाया करते थे। परिचय के आदान - प्रदान से बचने के लिए कैंपस ही हमारा प्रिय स्थल बन गया था। यहीँ देवानंद की भी मनचाही जगह थी।   मैले कपड़े , बढ़ी हुई दाढ़ी , बेतरत