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Showing posts from February 25, 2018

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ईद पर दिया किडनी का तोहफा

मौत के बाद भी 'जिंदा रहेंगी वंदना' 'रहें न रहें हम, महका करेंगे..! इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है विले पार्ले की वंदना पीयूष ठाकर ने। वंदना अब इस दुनिया में नहीं हैं, फिर भी वह किसी नेत्रहीन की आंखें बन दुनिया देखेंगी, किसी का लीवर बन पोषित होंगी, किसी की किडनी बन जीवन जीएंगी। करीब दस दिन पहले सड़क हादसे की शिकार वंदना की किडनी ईद के मौके पर नन्हे इकरम को बतौर तोहफा दी गई। इकरम खां (11) के लिए यह ईदी जीवन पर्यंत जीने का सबब बनेगी। किडनी ही नहीं, वंदना की आंखें और लीवर भी दान किए गए हैं और समय रहते यदि कोई उनके हृदय के लिए आया होता, तो वे धड़कन भी बनीं होतीं।पेशे से शिक्षिका रहीं वंदना के 53 साल परिवार और समाज हित में बीत गए, और असमय मौत के बाद उनके शरीर ने भी कइयों को जिंदगी दी। किसी अचंभे समान इस महादान की चर्चा करते हुए वंदना के बड़े बेटे पुनीत (29) बताते हैं कि मां की समाजसेवी छवि को देखते हुए पूरे परिवार ने सोच-विचार कर उन्हें इस तरह की श्रद्धांजलि देने का मन बनाया। बतौर पुनीत मां हमेशा दूसरों के दुखदर्द बांटने झट से पहुंच जाती थीं, उन्हें क्या पता

उपलब्धियों की सिरमौर

पहली टेस्ट ट्यूब बेबी, सबसे कम उम्र एसईओ 24 साल पहले वह देश की सबसे पहली टेस्ट ट्यूब बेबी थी। फिर दस साल की उम्र में कलकत्ता में पी।सी. लाल की ट्रेनिंग ले रही देश की सबसे कम उम्र की जादूगरनी बनी। बेढब आंकड़ों वाले गणित में शकुंतला देवी के तिलिस्म को चुनौती देती भी देखी गयी। आई.आई.टी. में पढ़ाई करने बन गई इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रोफेसर। अब ये दमकता हुआ चेहरा चमक रहा है मुम्बई के स्पेशल एक्जि़क्यूटिव ऑफिसर के तौर पर। मिलिए बचपन से ही अजूबा रहीं कृति पारेख से। प्रोफेसर कृति पारेख की उपलब्धियों के आगे तमाम हस्तियां बौनी नजर आती हैं। कृत्रिम टेस्ट ट्यूब प्रणाली से इस दुनिया में कदम रखने वाले कृति इंजीनियरिंग कॉलेज की अपनी पूरी आमदनी ओपेरा हाउस के करीब गांवदेवी के शारदा मंदिर हाईस्कूल के बच्चों के लिए दान करती हैं। इतना ही नहीं, समाजसेवा की ये जादूगरनी पर्यावरण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण काम कर रही हैं और इसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा 'ग्लोबल 500 रोल ऑफ ऑनर अवार्ड भी मिल चुका है। 1984 में टेस्ट ट्यूब में परीक्षण कर रहे कलकत्ता के वुडलैंड नर्सिंग होम की डॉ. ज्योत