Skip to main content

Total Pageviews

Followers

" सीजर एक बार ही मरता है"- मोनी सिंह


जीवन मे मुझे बार-बार छोटा बनाने वाली घटनाये होती रही औऱ होती रहेंगी, मग़र सच मानिए मुझे उससे कभी भी फ़र्क़ नही पड़ा और ही पड़ेगा। इसको आप मेरा अतिआत्मविश्वास भी मान लीजिए तो गलत नही होगा। लेकिन आख़िर ये अति अतिआत्मविश्वास आया कहां से इस साधारण से व्यक्तित्व में। 


तो बात करते है जुलियर सीज़र की , एक नाटक जो हिंदी मीडियम का शायद ही कोई बच्चा समझता हो और जो मुझे समझ में आज तक भी नहीं आयी,लेकिन ये गज़ब का आत्मविश्वास मुझको इसी नाटक से मिलाअचरज तो मुझको भी है लेक़िन जीवन है ही विषमताओं में समता को ढूंढ निकालने का नाम। तो जुलियर सीजर के नाटक में एक डायलाग है, के सीज़र कहता हैं," सीजर एक बार ही मरता है।" और यही वो वाक्य है जो हमे किसी के सामने झुकने नहीं देती। 

जीवन तो किसी किसी मोड़ पर अंतिम सांस लेगी ही, उससे पहले क्यों मरे भला। हमको जिसने भी आज तक़ कमतर होने का आभास कराना चाहा हमे उनपर तरस ही आता रहा। आप अगर सूत्रधार हो तो निर्णय लीजिये के अमुक व्यक्ति तो व्यर्थ है लेकिन कहां, जो किसी के जीवन को बनाता है वो फिर हमेशा ही उसको तराशेगा,उसे यही काम आता होगा लेकिन जो बस दूसरों के व्यक्तित्व को धूमिल कर रहा है उसने निर्माण का काम नही किया होगा बस चीज़ो को जुटाता होगा, कुछ बना नही सका होगा।

सार यह है के, क्यों जीवन मे सकारात्म ही रहे, अपने प्रयासों में लगे रहे,लोगों की नकारात्मक ऊर्जा को अपने ऊपर हाबी होने दें। लोग कौन है जो हमारा वज़ूद तय करेंगे। हम जहाँ है वही से सीमित प्रयास करें। हमारी दुनियां है, मरने से पहले बार बार क्यों मरे,, जीभर कर अपने ही तरीके से भरपूर जिये, फक्कड़पन में भी राजा तो है ही हम, अपनी ज़िंदगी के।

- मोनी सिंह 


Comments